अंतिम सत्य
क्या यह पाप है?
अगर अंत:करण निष्पाप है?
शुद्ध स्वच्छ और शांत
पर
तृष्णा से आक्रान्त
अशांत
और
भ्रांत
विषयी समाज से आक्रान्त
नाम को ही सही।
भ्रष्टाचार से लिपटा
स्वयं व्यभिचार की मूर्ति
अस्त व्यस्त स्वार्थ पूर्ति।
कींचड़ का ये स्वप्न।
कमल-स्वरूप महान —
ईश्वर प्राप्ति त्याग जप इत्यादि
वार्तालाप का विषय अंतर्ज्ञान
कहाँ की वो कालिमा काली
उजियारी फुलवारी हरि नाम क्यारी।
सब यहीं है।
इसी तरह।
उठा लो, ले लो।
जो ले सको।
कर लो निपटा लो
हो सके तो
चुन लो —
वो अंतिम सत्य।
राम नाम ही सत्य है।।
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